आज हम जिस AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की खूब चर्चा कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी शुरूआत 1950 के दशक में ही हो गई थी। अब ये दुनियाभर में हर दस में से एक शख्स की जुबान पर है। एआई क्या है, ये कैसे काम करती है, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं? आज हम आपको इस लेख में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जिसका हिंदी में मतलब कृत्रिम बुद्धिमत्ता है। इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
AI क्या है, और ये कैसे काम करता है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया की सबसे श्रेष्ठ तकनीकों में से एक है, ये दो शब्दों आर्टिफिशियल और इंटेलिजेंस से मिलकर बनी है। इसका सीधा अर्थ होता है ‘मानव निर्मित सोच शक्ति’। ये तकनीक कंप्यूटर और डिजिटल उपकरणों को सीखने, पढ़ने, लिखने, बनाने और विश्वलेषण करने में मदद करता है। साथ ही अध्यन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है। और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है।
सरल भाषा में समझे तो एआई (Artificial Intelligence) कंप्यूटर एक व्यक्ति की तरह सीखने, समझने और समस्याओं को आसानी से हल करने की अनुमति देता है। AI सिस्टम को कई जानकारियों के साथ ट्रेंड किया जाता है, इसमें पैटर्न की पहचान करना सिखाया जाता है, ताकि मानव जैसा बातचीत कर सके, इसके अलावा ये तकनीक भविष्यणवाणी जैसे कार्य करने में भी सक्षम है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से क्या-क्या होंगे फायदे?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने से देश के मेडिकल सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इस तकनीक के जरिए एक्सरे, रीडिंग जैसे कई काम आसान हो जाएंगे। इस तकनीक से डॉक्टर्स को अनुसंधान में मदद मिलेगी, एआई से मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज किया जा सकेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से स्पोर्ट्स क्षेत्र में काफी फायदा होगा, खिलाड़ी इस तकनीक के जरिए अपनी परफॉर्मेंस पर नजर रख सकेंगे, साथ ही इस तकनीक के जरिए खेल को आसानी से समझने में मदद मिलेगी। एआई से स्कूल-कॉलेज से लेकर उर्जा और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी काफी फायदा होगा।
Artificial Intelligence से क्या होगा नुकसान?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने से सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ने की बात कही जा रही है। क्योंकि आने वाले समय में इंसानों की जगह मशीनों से काम कराने की योजना बनाई जा रही है। एआई के आने से मानव जाति का अंत हो सकता है, क्योंकि इस तकनीक के जरिए रोबोट्स अपने आप को विकसित करके क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। जिससे मानवता के लिए खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की फिल्म ‘टर्मिनेटर’ में की गई है। हालांकि इस दौर के आने में अभी काफी समय लग सकता है। लेकिन आम लोगों के मन में ऐसे कई सवाल पैदा हो रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मिसयूज
भारत में आम चुनाव को लेकर टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भारत सरकार को एक बड़ी चेतावनी दी है। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक चीनी साइबर ग्रुप एआई की मदद से लोकसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने इस दौरान हैकिंग प्रयासों को लेकर भी गंभीर चिंता जताई है। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि चीन एआई के जरिए वोटरों को दूसरी पार्टियों की तरफ भटकाने की कोशिश करेगा। वो ऐसा कंटेंट पोस्ट करेगा जिससे चुनावों के दौरान जनता की राय दूसरी पार्टी के प्रति बदल सके। उम्मीदवारों को बदनाम करने के लिए चीन एआई मीम्स और नकली ऑडियो कंटेंट का प्रसार कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने सिर्फ भारत नहीं अमेरिका और दक्षिण कोरिया को भी चुनाव में हेर-फेर का अलर्ट किया है। इससे पहले चीन इस तरह का ट्रायल ताइनव में कर चुका है जो कुछ हद तक सफल रहा।
किन तीन स्किल पर काम करती है एआई?
1. लर्निंग प्रोसेस: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेटा इकट्ठा करने और इसे योग्य जानकारी में बदलने के लिए नियम बनाने पर केंद्रित है, इन्हें एल्गोरिदम कहा जाता है, ये एल्गोरिदम कंप्यूटर सिस्टम को कार्य पूरा करने में मदद करते हैं।
2. रीजनिंग प्रोसेस: इस स्किल के तहत एआई अपने इच्छा अनुसार परिणाण तक पहुंचने का चुनाव करती है।
2. सेल्फ करेक्शन प्रोसेस: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस स्किल के लिए एल्गोरिदम को अपने आप ठीक करती है, ताकि यूजर्स को सही जानकारी मिल सके।

भारत में AI की संभावनाएं कितनी?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक भारत में अभी नई है, लेकिन देश के कई क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत में इसकी संभावनाओं को देखते हुए हाल ही में उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करें। जहां पर एआई लाभकारी हो सकता है। भारत में अभी इसका इस्तेमाल मीडिया जगत के कुछ न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया में देखने को मिल रहा है। जो सफलता की तरफ देखा जा रहा है, सरकार भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पक्ष में है। जहां भी इसकी जरूरत हो वहां इसका इस्तेमाल किया जाए। सरकार ने उद्योग जगत से एआई के इस्तेमाल के लिए मॉडल बनाने में सहयोग और मदद की अपील की है। उद्योग जगत ने सरकार से कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए देश में कमेटी बने जो इसकी देखरेख और निगरानी करे, कि कहां पर इसका सही इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही सरकार ने एआई के लिए इस बार बजट में 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान भी किया है।
चीन और अमेरिका में क्या है स्थिति?
चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रूप रेखा तेजी से तैयार की जा रही है। 2030 तक चीनी सरकार एआई को लेकर विश्व का अगुवा बनने की प्लानिंग कर रही है। इसी के साथ चीन में गूगल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर प्रयोगशाला खोलने के बाद एक कार्यालय भी खोला है। गूगल का ये नया कार्यलय शेनझेन शहर में है। इस शहर में गूगल के कई उपभोक्ता और साझेदार हैं। चीन में गूगल का एआई सेंटर बुद्धिमत्ता सम्मेलन और कार्यशालाओं को प्रायोजित करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान समुदाय को प्रोत्साहन दे रहा है। ये एशिया का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता एआई सेंटर है। वहीं अमेरिका की बात करें तो यहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल तेजी से हो रहा है। बड़ी कंपनिया एआई की उपयोग सबसे अधिक कर रही हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्यन के मुताबिक अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोजगार खत्म हो जाएंगे।

कब हुआ एआई का जन्म?
साल 1955 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मेकार्थी ने इसका नाम आधिकारिक तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रखा था। एआई की शुरुआत वैसे 1950 के दशक में हो गई थी। लेकिन इसकी पहचान 1970 के दशक में तब मिली, जब जापान ने सबसे पहले इस तकनीक की तरफ पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिए 10 वर्षीय कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार की गई थी। इसके बाद दूसरे देशों में भी इस तकनीक की तरफ ध्यान दिया गया। ब्रिटेन ने इसके लिए ‘एल्वी’ नामक एक प्रोजेक्ट बनाया, इसके बाद यूरोपियन यूनियन के देशों ने ‘एस्प्रिट’ नाम से इसकी शुरुआत की। इसके बाद साल 1983 में कुछ निजी संस्थानों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीक जैसे ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ की स्थापनी की थी।जिसके बाद दुनिया के कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।
सूर्य प्रकाश मौर्य ने इस आर्टिकल को लिखा है,जो WWW.MEDIABABU.COM वेबसाइट में वरिष्ठ पत्रकार हैं।

